Uttarakhand उत्तरकाशी ब्यूरो
Uttarakhand के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार, 5 अगस्त को प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया। गंगोत्री धाम के रास्ते पर बसा खूबसूरत धराली गांव और हर्षिल में स्थित भारतीय सेना का बेस कैंप एक पल में मलबे और तबाही के आगोश में समा गया।
खीर गंगा नाले में बादल फटने से अचानक आए सैलाब ने गांव को झील में तब्दील कर दिया, कई घर, होटल और दुकानें बह गईं, और गंगा नदी का बहाव भी रुक गया। इस आपदा ने न केवल धराली के लोगों को, बल्कि सेना के जवानों को भी अपनी चपेट में लिया।
Uttarakhand तबाही का मंजर
30 सेकंड में डूब गया धराली दोपहर करीब 1:45 बजे, जब धराली के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त थे, अचानक खीर गंगा नाले में 1230 फीट की ऊंचाई से मलबा और पानी का सैलाब 43 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गांव में घुसा।
देखते ही देखते बाजार, होटल, होमस्टे और घर मलबे में दब गए। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में लोग दहशत में चीखते-चिल्लाते नजर आए, जबकि पानी की उग्र धारा सब कुछ तहस-नहस करती चली गई। स्थानीय निवासी राजेश पंवार ने बताया, “पलक झपकते ही सब कुछ खत्म हो गया। नदी का पानी इतनी तेजी से आया कि कुछ समझ पाना मुश्किल था।”
Uttarakhand हर्षिल के पास सेना का कैंप भी इस आपदा की चपेट में आया। खबरों के मुताबिक, 14 राजपूताना यूनिट के कई जवान लापता हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है। हर्षिल में तेलगाड़ नाले के उफान पर आने से कैंप में पानी घुस गया, और गंगोत्री हाईवे भी बंद हो गया हैं।
Uttarakhand गंगा का रुका बहाव, हर्षिल में बनी झील
इस आपदा ने गंगा नदी के प्राकृतिक प्रवाह को भी प्रभावित किया। खीर गंगा नाले का मलबा भागीरथी नदी में जमा हो गया, जिससे हर्षिल के पास एक अस्थायी झील बन गई। इससे गंगोत्री धाम का Uttarakhand जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया, और स्थिति और जटिल हो गई। भूवैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग और अनियोजित निर्माण इस तरह की आपदाओं को और बढ़ावा दे रहे हैं।
सेना और NDRF का राहत अभियान
आपदा की सूचना मिलते ही भारतीय सेना की आइबेक्स ब्रिगेड ने त्वरित कार्रवाई की। ब्रिगेडियर मंदीप ढिल्लन के नेतृत्व में 150 सैनिक, विशेष चिकित्सा उपकरण और डॉक्टरों के साथ मात्र 10 मिनट में धराली पहुंच गए।
अब तक 20-25 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, और घायलों को सेना के मेडिकल सेंटर में भेजा गया है। एनडीआरएफ की चार टीमें, Uttarakhand एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी युद्धस्तर पर राहत कार्य में जुटे हैं।
Uttarakhand प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर
01374-222126, 222722, 9456556431 जारी किए हैं, और लोगों से नदी किनारों से दूर रहने की अपील की है। हालांकि, कमजोर नेटवर्क और क्षतिग्रस्त सड़कों ने बचाव कार्यों में चुनौतियां खड़ी की हैं।
Uttarakhand सरकार का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर गहरा दुख जताया और Uttarakhand मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “उत्तरकाशी के धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
राहत और बचाव की टीमें हरसंभव प्रयास में जुटी हैं।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी केंद्र से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री धामी ने देहरादून में आपदा परिचालन केंद्र में बैठक कर अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और नुकसान को कम करना है।”
कितना नुकसान?
अब तक की जानकारी के मुताबिक, कम से कम चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कुछ सूत्रों ने 10-12 मौतों और 50-60 लोगों के लापता होने की आशंका जताई है। धराली में 20-25 होटल और होमस्टे पूरी तरह नष्ट हो गए, और बाजार क्षेत्र मलबे में तब्दील हो गया। प्राचीन कल्प केदार मंदिर भी मलबे में दब गया है।
प्रकृति की चेतावनी, मानव की लापरवाही
धराली की यह त्रासदी एक बार फिर प्रकृति की अनिश्चितता और मानवीय लापरवाही को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अनियंत्रित पर्यटन, ग्लेशियरों पर बढ़ता दबाव और जलवायु परिवर्तन इस तरह की आपदाओं को और घातक बना रहे हैं। क्या यह घटना हमें सबक देगी, या हम फिर से प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे?
आगे क्या?
Uttarakhand जैसे-जैसे राहत कार्य जारी हैं, धराली के लोग और सेना के जवान उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। लेकिन इस तबाही ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं, क्या हम प्रकृति के संदेश को समझ पाएंगे? धराली की यह कहानी न केवल दुखद है, बल्कि एक चेतावनी भी है कि हमें अपने पर्यावरण और विकास के तौर-तरीकों पर पुनर्विचार करना होगा।










