सुमन मिश्रा संवाददाता
गाजियाबाद के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र कैला भट्टा में नगर निगम की बहुमूल्य भूमि पर फिर से अवैध कब्जे का प्रयास तेज हो गया है। स्थानीय निवासी फारुख चौधरी ने इस भूमि को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताकर कब्जाने की कोशिश की है, जबकि पूर्व में तहसील की जांच रिपोर्ट में इसे स्पष्ट रूप से नगर निगम की जमीन घोषित किया गया था।
इस मामले की जानकारी मिलते ही महापौर सुनीता दयाल ने तत्काल नगर निगम अधिकारियों को सख्त प्रशासनिक और वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, ताकि सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा हो सके।
Ghaziabad: पुराना विवाद, नया मोड़
कैला भट्टा स्थित मरकज मस्जिद के पास यह भूमि वर्षों से विवादों में घिरी रही है। 2023 में हाजी खलील द्वारा इसी भूमि पर कब्जा करने की शिकायत फारुख चौधरी ने की थी। तहसील द्वारा की गई जांच के बाद रिपोर्ट में भूमि को पूरी तरह नगर निगम की संपत्ति करार दिया गया।
इसके आधार पर नगर निगम ने प्रभावी कार्रवाई करते हुए अवैध कब्जा हटाया और भूमि को अपने नियंत्रण में ले लिया। उस समय की कार्रवाई में लगभग 50 करोड़ रुपये कीमत की जमीन मुक्त कराई गई थी।
हालांकि, अब वही फारुख चौधरी भूमि को वक्फ बोर्ड की बताकर दोबारा कब्जाने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ स्थानीय लोग भी इस प्रयास में उनकी मदद कर रहे हैं, जिससे विवाद और गहरा गया है।
यह घटना गाजियाबाद में वक्फ बोर्ड और सरकारी संपत्तियों के बीच बढ़ते टकराव को दर्शाती है, जहां हाल के सर्वे में जिले में 142 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि पर वक्फ बोर्ड का कब्जा पाया गया। इनमें से कई संपत्तियां नगर निगम क्षेत्र में ही हैं, जैसे श्मशान स्थल और अन्य सार्वजनिक जगहें।
Ghaziabad महापौर का त्वरित एक्शन
मामले की जानकारी महापौर सुनीता दयाल को मिलते ही उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों को तत्काल जांच और कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए। महापौर ने स्पष्ट कहा कि कैला भट्टा में पहले खाली कराई गई जमीन पर दोबारा कब्जे की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और तहसील प्रशासन से समन्वय स्थापित कर वक्फ दावे की वैधानिक जांच कराने का आदेश दिया है। साथ ही, भूमि पर कोई भी अवैध निर्माण या उपयोग रोकने के लिए सतर्कता बरतने को कहा गया।
यह निर्देश वक्फ संशोधन कानून 2025 के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हैं, जिसके तहत गाजियाबाद प्रशासन ने पहले ही 400 से अधिक वक्फ संपत्तियों पर नोटिस जारी किए हैं। इनमें से कई पर सरकारी जमीन का अवैध उपयोग पाया गया, जैसे कब्रिस्तान या धार्मिक स्थलों के नाम पर कब्जा। जिले में कुल 875 वक्फ संपत्तियों में से 421 सरकारी भूमि पर स्थित हैं, जो इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर करता है।
Ghaziabad स्थानीय प्रभाव और व्यापक संदर्भ
कैला भट्टा जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ऐसी घटनाएं न केवल स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ाती हैं, बल्कि नगर निगम की संपत्तियों के दुरुपयोग को भी प्रोत्साहित करती हैं। पूर्व में इसी क्षेत्र में 10 बीघा जमीन पर धार्मिक स्थल और पार्किंग बनाकर कब्जा किया गया था,जिसकी कीमत 20 करोड़ रुपये बताई गई।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसी कोशिशें सार्वजनिक सुविधाओं को प्रभावित करती हैं, जबकि वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि दावा करते हैं कि कई संपत्तियां ऐतिहासिक रूप से उनकी हैं।
प्रशासन का मानना है कि वक्फ संशोधन कानून के बाद ऐसी दावेदारी की जांच सख्ती से की जाएगी, ताकि वास्तविक धार्मिक संपत्तियों की रक्षा हो सके, लेकिन सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा न हो।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने हाल ही में सर्वे के आधार पर 445 वक्फ संपत्तियों को नोटिस भेजे हैं, जिसमें कैला भट्टा जैसी जगहें भी शामिल हो सकती हैं।
Ghaziabad संतुलित जांच जरूरी
यह मामला न केवल कैला भट्टा तक सीमित है, बल्कि पूरे गाजियाबाद में वक्फ-सार्वजनिक संपत्ति विवाद को हाइलाइट करता है। महापौर के निर्देशों के बाद अगले कुछ दिनों में कार्रवाई की उम्मीद है, लेकिन सभी पक्षों से अपील है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करें। यदि वक्फ दावा सिद्ध होता है, तो उचित समाधान निकाला जाएगा अन्यथा, कब्जा हटाने की प्रक्रिया तेज होगी।
यह घटना समाज में संपत्ति विवादों के समाधान के लिए पारदर्शी जांच की आवश्यकता पर जोर देती है, जहां धार्मिक संवेदनशीलता और प्रशासनिक दक्षता दोनों का संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।










