नेशनल डेस्क
भारतीय वायुसेना का गौरवशाली योद्धा, मिग-21, जिसने दशकों तक आकाश में भारत की शान को बुलंद रखा, आज औपचारिक रूप से रिटायर हो रहा है। यह विमान न केवल भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू जेट था, बल्कि 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में इसने दुश्मनों के दिल में खौफ पैदा किया।
‘फ्लाइंग कॉफिन’ कहे जाने के बावजूद मिग-21 ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में अपनी ताकत और साहस का लोहा मनवाया। अब यह विमान इतिहास के पन्नों और भारतीय वायुसेना की यादों में अमर रहेगा।
Mig-21 का गौरवमयी सफर
मिग-21, जिसे भारतीय वायुसेना में ‘बाहुबली’ और ‘तलवार’ जैसे नामों से जाना गया, 1963 में पहली बार भारत आया। सोवियत संघ द्वारा डिजाइन किया गया यह विमान अपनी गति, फुर्ती और युद्धक क्षमता के लिए मशहूर था। मिग-21 सुपरसोनिक जेट की तैनाती ने भारतीय वायुसेना को नई ताकत दी और यह जल्द ही वायुसेना की रीढ़ बन गया।
इसने 1965 के भारत-पाक युद्ध में पहली बार अपनी ताकत दिखाई, जब इसने पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों को आसमान में धूल चटाई।
1971 के युद्ध में मिग-21 ने अपनी असली ताकत का प्रदर्शन किया। इस युद्ध में मिग-21 ने पाकिस्तान के F-86 सेबर और स्टार फाइटर जैसे विमानों को निशाना बनाया और कई हवाई युद्धों में जीत हासिल की। इसकी तेज गति और हथियारों की सटीकता ने भारतीय पायलटों को दुश्मनों पर भारी पड़ने में मदद की। 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जब इसने ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले किए।
Mig-21 ऑपरेशन सिंदूर: अंतिम जौहर
मिग-21 का सबसे यादगार प्रदर्शन हाल के वर्षों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देखने को मिला। इस ऑपरेशन में मिग-21 ने अपनी उम्र और तकनीकी सीमाओं के बावजूद दुश्मन के इरादों को नाकाम किया। भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने 2019 में मिग-21 बाइसन से पाकिस्तान के F-16 को मार गिराया था, जो इस विमान की ताकत और भारतीय पायलटों के साहस का प्रतीक बन गया। इस घटना ने मिग-21 को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया और इसे ‘दुश्मनों का दिल दहलाने वाला’ विमान साबित किया।
Mig-21 ‘फ्लाइंग कॉफिन’ की छवि और चुनौतियां
मिग-21 को इसके लंबे करियर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पुरानी तकनीक और बार-बार होने वाली दुर्घटनाओं के कारण इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ का तमगा मिला। 1963 से अब तक भारत में मिग-21 के 400 से अधिक हादसे दर्ज किए गए, जिनमें कई पायलटों ने अपनी जान गंवाई। फिर भी, भारतीय वायुसेना ने इस विमान को लगातार अपग्रेड किया।
मिग-21 बाइसन, जो इसका आधुनिक संस्करण था, में नई मिसाइलें, रडार और नेविगेशन सिस्टम जोड़े गए, जिसने इसे 21वीं सदी में भी प्रासंगिक बनाए रखा।
Mig-21 रिटायरमेंट: एक युग का अंत
आज मिग-21 के रिटायरमेंट के साथ भारतीय वायुसेना एक युग का अंत देख रही है। मिग-21 की जगह अब स्वदेशी तेजस, राफेल और सुखोई-30 जैसे आधुनिक विमान ले रहे हैं। भारतीय वायुसेना ने मिग-21 के सम्मान में एक विशेष समारोह आयोजित किया, जिसमें इसके गौरवशाली इतिहास को याद किया गया। इस मौके पर वायुसेना प्रमुख ने कहा, “मिग-21 सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि हमारे पायलटों के साहस और समर्पण का प्रतीक है। इसने हमें कई युद्धों में जीत दिलाई और हमेशा हमारी शान रहेगा।”
Mig-21 यादों में अमर
मिग-21 अब भले ही रिटायर हो रहा हो, लेकिन इसकी गाथाएं भारतीय वायुसेना के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएंगी। यह विमान न केवल तकनीकी उपलब्धि था, बल्कि उन हजारों पायलटों की कहानी भी है, जिन्होंने इसके साथ उड़ान भरी और देश की रक्षा की।
Mig-21 हिंडन एयरबेस बना गवाह
गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस, जहां मिग-21 की कई स्क्वाड्रन तैनात थीं, आज इस विमान को विदाई देने के लिए भावुक क्षणों का गवाह बना।
मिग-21 की सेवाएं भले खत्म हो रही हों, लेकिन यह विमान भारतीय वायुसेना के जज्बे और दुश्मनों को सबक सिखाने की ताकत का प्रतीक बना रहेगा। यह न केवल एक मशीन था, बल्कि भारत के गौरव और आत्मनिर्भरता की कहानी भी थी।










