कानपुर पुलिस की लगन और मेहनत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अपराधी कितने भी साल फरार क्यों न रह ले, कानून की गिरफ्त से बच नहीं सकता। 40 साल पुराने एक हत्याकांड के मामले में फरार चल रहे शातिर अपराधी को पुलिस ने आखिरकार दबोच लिया। आरोपी ने नाम बदलकर नई जिंदगी शुरू कर दी थी, लेकिन पुलिस की टीम ने उसे गोंडा जिले से गिरफ्तार कर कानपुर ला खड़ा किया। अब 70 साल की उम्र में उसे फिर से अदालत का सामना करना पड़ेगा।
1982 की वह खूनी वारदात
यह कहानी शुरू होती है साल 1982 से। कानपुर के फीलखाना थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। पुलिस जांच में आरोपी के रूप में सामने आया बंगाली मोहाल निवासी प्रेम प्रकाश उर्फ पप्पू। उस समय उसकी उम्र महज 30 साल के करीब थी। प्रेम प्रकाश और उसके साथियों ने मिलकर यह वारदात अंजाम दी थी।
मामले में गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने करीब 2 साल जेल में गुजारे। फिर जमानत मिल गई। लेकिन साल 1985 में जब अदालत में पेशी के लिए उसे आना था, वह गायब हो गया। अदालत ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया। इसके बाद शुरू हुई 40 साल लंबी फरारी की जिंदगी।

नाम बदला, जिंदगी बदली, लेकिन अपराध नहीं भूला
फरारी के दौरान प्रेम प्रकाश उर्फ पप्पू ने अपना नाम बदलकर ‘प्रेम कुमार’ रख लिया और गोंडा जिले में शांतिपूर्ण जीवन जीने लगा। कोई उसे पहचान नहीं पाता था। नई पहचान, नई जगह – सब कुछ बदल गया, लेकिन पुराना अपराध उसके पीछे लगा रहा।
पुलिस की लगन ने तोड़ा फरारी का रिकॉर्ड
डीसीपी पूर्वी (कानपुर) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुराने रिकॉर्ड्स को खंगालने और मुखबिरों की सूचना पर एसीपी कोतवाली व फीलखाना थाने की टीम ने लगातार प्रयास किए। कोई ठोस सबूत नहीं था, कोई फोटो नहीं, सिर्फ पुराने कागजात और नाम। फिर भी टीम नहीं रुकी।
आखिरकार टीम ने गोंडा में छापा मारकर आरोपी को धर दबोचा। पूछताछ में उसने अपना असली नाम और पुराना जुर्म कबूल कर लिया। अब 70 साल की उम्र में वह फिर से हवालात की सलाखों के पीछे है।
पुलिस टीम को मिला 25 हजार का इनाम
डीसीपी ने बताया कि इस कठिन गिरफ्तारी के लिए पूरी टीम को 25 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई दर्शाती है कि कानपुर पुलिस पुराने से पुराने मामलों को भी सुलझाने में सक्षम है। कोई अपराधी कानून से बड़ा नहीं है।”
यह गिरफ्तारी न सिर्फ एक पुराने केस को बंद करेगी, बल्कि उन तमाम फरार अपराधियों को भी संदेश देगी जो सालों से छिपे बैठे हैं – वक्त कितना भी बीत जाए, कानून का हाथ उन तक जरूर पहुंचेगा।











