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प्रशासन तत्काल ध्यान दें: उत्तर प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट की दयनीय स्थिति!

BPC News National Desk
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ब्रह्मपुत्र एन्क्लेव

ब्रह्मपुत्र एन्क्लेव सैक्टर-10, सिध्दार्थ विहार, गाजियाबाद में जानलेवा हादसा, जवाबदेह कौन?

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी सिद्धार्थ विहार योजना में शामिल ब्रह्मपुत्र एन्क्लेव (सेक्टर 10) के अल्प आय वर्ग (LIG) के फ्लैट्स की निर्माण गुणवत्ता पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। सात वर्ष पहले आवंटित ये मकान अब निवासियों के लिए मौत का जाल बन रहे हैं।

आज, ब्लॉक नंबर 50 के फ्लैट नंबर 301 की किचन का छज्जा भरभराकर नीचे गिर गया, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यह महज संयोग था कि घटना के समय नीचे कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था, अन्यथा एक बड़ा और जानलेवा हादसा हो सकता था। यह घटना आवास विकास परिषद की घोर लापरवाही और निकृष्ट निर्माण सामग्री के उपयोग की ओर स्पष्ट इशारा करती है।

जर्जर होती इमारतें, बेखबर अधिकारी

निवासियों और आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों के अनुसार, यह कोई अकेली घटना नहीं है। पिछले कुछ समय से कॉलोनी में आए दिन छज्जे, बालकनी, और ग्रिल तक टूटकर गिर रहे हैं।

ब्रह्मपुत्र एन्क्लेव

7 साल में दुर्दशा: वर्ष 2018 में कब्जा दिए गए इन फ्लैटों की हालत महज 7 वर्षों में इतनी खराब हो चुकी है कि वे गिरने को तैयार हैं। यह गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control) में शून्य टॉलरेंस की नीति पर सीधा प्रहार है।

शिकायतों पर चुप्पी: आरडब्ल्यूए पदाधिकारी लगातार अधिकारियों को खतरों से आगाह कर रहे हैं और लिखित शिकायतें दे रहे हैं। इसके बावजूद, आवास विकास के अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। जिम्मेदार अधिकारी निरीक्षण करने तक को तैयार नहीं हैं, जो उनकी कर्तव्यहीनता और गरीबों के जीवन के प्रति उनकी संवेदनहीनता को दर्शाता है।

मूल्य वृद्धि का बोझ और गुणवत्ता में धोखा

यह योजना पूर्ववर्ती सपा शासनकाल में अल्प आय वर्ग के लिए लाई गई थी। निवासियों ने 2013 में 11.72 लाख से 13.90 लाख रुपये की कीमत पर फ्लैट बुक किए थे, लेकिन कब्जा देते समय आवास विकास ने इन मकानों की कीमत में 3 से 3.5 लाख रुपये तक की भारी वृद्धि कर दी। अब बचे हुए इन फलैटो की कीमत 29.82 से 36.39 कर दी है|

गरीबों ने बढ़ी हुई कीमतें चुकाईं, इस उम्मीद में कि उन्हें मजबूत और टिकाऊ घर मिलेंगे। लेकिन आज उन्हें मूल्य वृद्धि का बोझ और जान का खतरा दोनों झेलने पड़ रहे हैं।

आवास आयुक्त, जिलाधिकारी… कब होगी कार्रवाई?

यह मामला अब केवल एक स्थानीय शिकायत नहीं, बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा और सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता से जुड़ा है।
हम तत्काल मांग करते हैं कि: उच्च स्तरीय जाँच: मुख्यमंत्री, आवास आयुक्त, और जिलाधिकारी महोदय इस मामले का संज्ञान लें और तत्काल उच्च स्तरीय जाँच का आदेश दें।

दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई:

निकृष्ट निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों और शिकायत के बावजूद निष्क्रिय रहने वाले अधिकारियों पर कड़ी कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाए।

तत्काल मरम्मत और निरीक्षण: सभी फ्लैटों का युद्ध स्तर पर तकनीकी निरीक्षण कराया जाए और तत्काल पूरी कॉलोनी की मरम्मत (Reinforcement) और रंगत-पुताई का कार्य शुरू किया जाए, ताकि किसी भी बड़े हादसे को टाला जा सके।

यह अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जा सकती। गरीबों के आशियाने को बचाने के लिए प्रशासन को तुरंत नींद से जागना होगा!

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