बरेली ब्यूरो
उत्तर प्रदेश के बरेली में ‘आई लव मुहम्मद’ कैंपेन को लेकर हुई हिंसक झड़पों के बाद प्रमुख मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना तौकीर रजा खान को गिरफ्तार कर लिया गया है। इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख रजा पर पुलिस ने हिंसा भड़काने का मुख्य आरोप लगाया है।
कोर्ट ने उन्हें और उनके सात सहयोगियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह गिरफ्तारी न केवल हालिया विवाद की देन है, बल्कि रजा पर दशकों पुराने मुकदमों का भी परिणाम मानी जा रही है।
लंबे समय से राजनीतिक दखल के कारण बचते रहे रजा का यह ‘अंत’ स्थानीय स्तर पर सनसनी फैला रहा है।

Bareilly’आई लव मुहम्मद’ कैंपेन
27 सितंबर को बरेली में एक मस्जिद के बाहर ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर लेकर निकले प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच भारी झड़प हुई। रजा का एक वीडियो वायरल होने के बाद भीड़ उग्र हो गई, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर भड़काऊ बयान दिए थे।
पुलिस ने दावा किया कि रजा ने ही इस ‘कैंपेन’ को मास्टरमाइंड किया, जिसके चलते पथराव, आगजनी और लाठीचार्ज की नौबत आई। अब तक 10 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और करीब 2,000 लोगों पर मुकदमे चल रहे हैं। इंटरनेट सेवाएं 48 घंटों के लिए निलंबित कर दी गई हैं, जबकि स्थिति अब शांत बताई जा रही है। रजा की गिरफ्तारी के साथ ही सात अन्य ‘उपद्रवी तत्वों’ को भी हिरासत में लिया गया।
Bareilly दशकों पुराने मुकदमे
मौलाना तौकीर रजा पर मुकदमों का सिलसिला 1982 से चला आ रहा है, जब उन्होंने पहली बार धार्मिक उन्माद भड़काने के आरोप में केस का सामना किया। लेकिन सबसे चर्चित 2010 का बरेली दंगा है, जिसमें रजा को मुख्य आरोपी बनाया गया।

2 मार्च 2010 को दो समुदायों के बीच झड़प के बाद शहर में 23 दिनों का कर्फ्यू लगा था। रजा पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा, और कोर्ट ने उन्हें ‘मास्टरमाइंड’ करार दिया। इसके अलावा, 2019-20 के एंटी-सीएए/एनआरसी विरोध प्रदर्शनों में भी उनका नाम आया। कुल मिलाकर दर्जनों केस पेंडिंग हैं, लेकिन गिरफ्तारी में देरी का कारण हमेशा राजनीतिक हस्तक्षेप ही बताया जाता रहा।
Bareilly बचाव का कवच टूटा?
रजा को लंबे समय से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। 2010 दंगे के दौरान भी, जब वे जेल पहुंचे, तो जल्द ही जमानत मिल गई। स्थानीय प्रशासन और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं पर सहयोग का आरोप लगा, जिसके कारण कोर्ट ने कई बार सुनवाई टाल दी।
मार्च 2024 में कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ‘अधिकारियों ने रजा जैसे आरोपियों को संरक्षण दिया’, जिससे कानून-व्यवस्था प्रभावित हुई। योगी आदित्यनाथ सरकार के सख्त रुख के बावजूद, रजा ‘एल्यूसिव’ बने रहे।

लेकिन इस बार ‘आई लव मुहम्मद’ विवाद ने सब कुछ बदल दिया। पुलिस का दावा है कि अब कोई दखल नहीं चलेगा, और पुराने केसों की भी जांच तेज होगी। विपक्षी दल इसे ‘राजनीतिक बदले’ की संज्ञा दे रहे हैं, जबकि सत्ताधारी पक्ष इसे ‘कानून का राज’ बता रहा है।
Bareilly में तनाव बरकरार
रजा की गिरफ्तारी से बरेली में तनाव कम हुआ है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में असंतोष है। पूर्व जम्मू-कश्मीर सीएम उमर अब्दुल्ला ने ‘आई लव मुहम्मद’ स्लोगन को निर्दोष बताया। दूसरी ओर, पुलिस 39 अन्य गिरफ्तारियों के साथ सतर्कता बरत रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना धार्मिक संवेदनशीलता पर फिर सवाल खड़े करती है। क्या रजा के पुराने केसों में अब तेजी आएगी? या यह गिरफ्तारी अस्थायी साबित होगी? समय ही बताएगा।
Bareilly निष्कर्ष
मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश की कानूनी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। 1982 से चले आ रहे मुकदमों और 2010 दंगों के बाद भी राजनीतिक छत्रछाया में बचे रहने वाले रजा का जेल जाना दर्शाता है कि अब ‘कोई ऊपर नहीं’। लेकिन यह विवाद धार्मिक सद्भाव पर भी सवाल उठाता है।









