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BPC न्यूज़ ब्यूरो – श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब श्री राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे को देश का सबसे ऊंचा सम्मान!

BPC News National Desk
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BPC न्यूज़ ब्यूरो

BPC न्यूज़ ब्यूरो – श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब श्री राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे को देश का सबसे ऊंचा सम्मान!

मोदी सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सबसे बड़े सम्मान “भारत रत्न” देने की घोषणा करी।

“लाल कृष्ण आडवाणी की बेटी प्रतिभा ने बताया है कि “भारत रत्न” दिए जाने की बात सुनकर वह बेहद खुश हैं, उन्होंने कहा कि वह देश के शुक्रगुजार हैं”

 

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BPC न्यूज़ ब्यूरो – श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब श्री राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे को देश का सबसे ऊंचा सम्मान!मोदी सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सबसे बड़े सम्मान “भारत रत्न” देने की घोषणा करी।“लाल कृष्ण आडवाणी की बेटी प्रतिभा ने बताया है कि “भारत रत्न” दिए जाने की बात सुनकर वह बेहद खुश हैं, उन्होंने कहा कि वह देश के शुक्रगुजार हैं”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। पीएम ने इसे अपने लिए भावुक क्षण बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को “भारत रत्न” से सम्मानित किया जाएगा।मोदी सरकार के ही कार्यकाल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को साल 2015 में “भारत रत्न” से नवाजा गया था। अब उसके करीब नौ साल बाद भाजपा संस्थापकों में शामिल लालकृष्ण आडवाणी को भी “भारत रत्न” देने का एलान किया गया है। आडवाणी भारतीय राजनीति के ऐसे चेहरे रहे जिन्हों कुशल संगठनकर्ता माना जाता है। खास बात यह है कि लालकृष्ण आडवाणी ने ना केवल बीजेपी को तैयार किया बल्कि नीतीश कुमार जैसे दूसरे दलों के नेताओं का भी करियर बनाने में अहम रोल निभाया।लालकृष्ण आडवाणी जहां भाजपा  की हिंदुत्ववादी राजनीति का चेहरा रहे, वहीं अटल बिहारी वाजपेयी की पहचान पार्टी के उदार चेहरे के रूप में बनी। इन दोनों नेताओं की जोड़ी के दम पर ही भाजपा जहां विभिन्न पार्टियों के साथ गठबंधन कर देश को पहली गैर कांग्रेसी स्थायी सरकार देने में सफल रही, साथ ही अपने हिंदूवादी एजेंडे पर भी टिकी रही। यही वजह रही कि साल 1984 में जहां भाजपा के दो सांसद थे तो साल 1999 में पार्टी ने 182 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।  “आडवाणी ने राजनीति में शुरू किया ‘यात्रा’ कल्चर”लाल कृष्ण आडवाणी ही वह नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में ‘यात्राओं’ का कल्चर शुरू किया था. जिस समय अयोध्या में राम मंदिर की मांग अपने पीक पर थी, तब लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी,  जिसकी वजह से देश की राजनीति में हिंदुत्व की राजनीति ने उभरना शुरू किया. हालांकि बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उनको समस्तीपुर में गिरफ्तार करा दिया था. इस कदम ने लालकृष्ण आडवाणी और लालू प्रसाद यादव दोनों को ही राजनीति का हीरो बना दिया था. लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। आडवाणी की शुरुआती शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से हुई। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद आडवाणी का परिवार पाकिस्तान छोड़कर भारत के मुंबई में आकर बस गया। आडवाणी विभाजन से पहले से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और भारत आने के बाद वे आरएसएस के प्रचारक बन गए। आरएसएस के साथ उन्होंने राजस्थान में काम किया। साल 1957 में आडवाणी जनसंघ के लिए काम करने के लिए दिल्ली आ गए। दिल्ली में आडवाणी अटल बिहारी वाजपेयी के घर में ही रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। पीएम ने इसे अपने लिए भावुक क्षण बताया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को “भारत रत्न” से सम्मानित किया जाएगा।

 

मोदी सरकार के ही कार्यकाल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को साल 2015 में “भारत रत्न” से नवाजा गया था। अब उसके करीब नौ साल बाद भाजपा संस्थापकों में शामिल लालकृष्ण आडवाणी को भी “भारत रत्न” देने का एलान किया गया है। 

आडवाणी भारतीय राजनीति के ऐसे चेहरे रहे जिन्हों कुशल संगठनकर्ता माना जाता है। खास बात यह है कि लालकृष्ण आडवाणी ने ना केवल बीजेपी को तैयार किया बल्कि नीतीश कुमार जैसे दूसरे दलों के नेताओं का भी करियर बनाने में अहम रोल निभाया।

 

लालकृष्ण आडवाणी जहां भाजपा  की हिंदुत्ववादी राजनीति का चेहरा रहे, वहीं अटल बिहारी वाजपेयी की पहचान पार्टी के उदार चेहरे के रूप में बनी। इन दोनों नेताओं की जोड़ी के दम पर ही भाजपा जहां विभिन्न पार्टियों के साथ गठबंधन कर देश को पहली गैर कांग्रेसी स्थायी सरकार देने में सफल रही, साथ ही अपने हिंदूवादी एजेंडे पर भी टिकी रही। यही वजह रही कि साल 1984 में जहां भाजपा के दो सांसद थे तो साल 1999 में पार्टी ने 182 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। 

“आडवाणी ने राजनीति में शुरू किया ‘यात्रा’ कल्चर”

लाल कृष्ण आडवाणी ही वह नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में ‘यात्राओं’ का कल्चर शुरू किया था. जिस समय अयोध्या में राम मंदिर की मांग अपने पीक पर थी, तब लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी,  जिसकी वजह से देश की राजनीति में हिंदुत्व की राजनीति ने उभरना शुरू किया. हालांकि बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उनको समस्तीपुर में गिरफ्तार करा दिया था. इस कदम ने लालकृष्ण आडवाणी और लालू प्रसाद यादव दोनों को ही राजनीति का हीरो बना दिया था.

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। आडवाणी की शुरुआती शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से हुई। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद आडवाणी का परिवार पाकिस्तान छोड़कर भारत के मुंबई में आकर बस गया।

आडवाणी विभाजन से पहले से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और भारत आने के बाद वे आरएसएस के प्रचारक बन गए। आरएसएस के साथ उन्होंने राजस्थान में काम किया। साल 1957 में आडवाणी जनसंघ के लिए काम करने के लिए दिल्ली आ गए। दिल्ली में आडवाणी अटल बिहारी वाजपेयी के घर में ही रहे थे।

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