गाज़ियाबाद के मशहूर ईएनटी रोग विशेषज्ञ डॉ बीपी त्यागी व डॉ अर्जुन Royal College of Surgeons of England में 5 दिन की ट्रेनिंग कोर्स के लिए रॉयल कॉलेज जा रहे है,
स्टेम सेल तकनीक से बधिरता में इस्तेमाल करने वाला हर्ष ईएनटी हॉस्पिटल देश का पहला हॉस्पिटल होगा, अभी डॉ बीपी त्यागी व टीम ऑफ़ डॉक्टर्स पी०आर०पी० से हियरिंग को दूर कर रहे है, आने वाले समय में दोनों तकनीक़ का इस्तेमाल किया जाएगा ।
क्या है स्टेम सेल कोशिकाएं
स्टेम सेल एक विशेष प्रकार की कोशिकाएँ हैं जिनमें दो महत्वपूर्ण गुण होते हैं। वे अपने जैसी और कोशिकाएँ बनाने में सक्षम होती हैं। यानी, वे खुद को नवीनीकृत करती हैं। और वे दूसरी कोशिकाएँ बन सकती हैं जो विभेदन नामक प्रक्रिया में अलग-अलग काम करती हैं।
कहा पाई जाती है स्टेम सेल कोशिकाएं ?
अम्बिलिकल कॉर्ड-
यह एक लचीली, ट्यूब जैसी संरचना है जो भ्रूण को माँ की नाल से जोड़ती है। नाल गर्भाशय की दीवार से जुड़ा एक अंग है, जो बदले में माँ की रक्त आपूर्ति से जुड़ता है। गर्भनाल ऑक्सीजन युक्त रक्त और पोषक तत्वों को प्लेसेंटा से पेट के माध्यम से भ्रूण तक ले जाती है, जहाँ नाभि बनती है, सबसे सुरक्षित तरीका।
कूल्हे की हड्डी-
स्टेम सेल निकालने के लिए, प्रक्रिया को ऑपरेशन थियेटर में किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान, आपका सर्जन रक्त और अस्थि मज्जा का नमूना लेगा। अस्थि मज्जा नमूना लेने में कूल्हे के क्षेत्र या निचले पैर से एक प्रमुख हड्डी से कोशिकाओं को निकालने के लिए एक विशेषज्ञ सुई का उपयोग शामिल है। लेकिन ये तरीका सुरक्षित नहीं हैं।

आपको बता दे स्टेम सेल तकनीक पर कैंसर रोगियों के लिए अभी भी भारत में अखिल भारतीय अनुसंधान विज्ञान संस्थान एम्स द्वारा रिसर्च चल रहा है, वही डॉक्टर बीपी त्यागी स्टेम सेल तकनीक का उपयोग बघिर मरीजों के लिए इस्तेमाल करने वाले पहले डॉक्टर बनेंगे।
डॉ बी पी त्यागी से हुई खास बातचीत में उन्होंने बताया कि देशभर में उनके पास लगभग 100 से ज्यादा आवेदन बाघिर मरीजों के लिए आए हैं लेकिन उन्होंने पहले 25 जरूरतमंद मरीजों को इस इलाज की सुविधा देने के लिए चुना है।
दो त्यागी ने यह भी बताया इस इलाज के लिए एक विशेष मशीन का इस्तेमाल होता है जिसका आर्डर वह पहले ही जर्मनी में एक कंपनी को दे चुके हैं आने वाले कुछ दिनों में वह मशीन जब इनके पास आ जाएगी और जब डॉक्टर त्यागी अपनी ट्रेनिंग करके लंदन से वापस आएंगे तो वहां से मिले प्रमाण पत्र को डी०एम०एस० भारत को सौप जाएगा और इस इलाज के लिए परमिशन ली जाएगी।











