BPC न्यूज़ ब्यूरो – मेरा वादा है नहीं डालने दूँगा रोज़ 500 मरीज़ की जान जोखिम में जो रेबीज सीरम न मिलने से हो रहे है परेशान ड० बी०पी० त्यागी।
“रोज़ 500 मरिजो की जान से खेल रहा है एम०एम०जी० हॉस्पिटल ग़ाज़ियाबाद”
एक 17 साल के बच्चे को स्ट्रीट डॉग ने हाथ में काट लिया। डॉग बाईट कैटॉग्री 3rd की थी । यह मरीज़ को कैटोग्री 1st का इलाज दिया गया यानी सिर्फ़ ARV वैक्सीन लगाई।
जब राष्ट्रवादी जनसत्ता दल के स्वास्थ्य प्रभारी “डा० बी०पी० त्यागी” ने सी०एम०एस० डॉ चतुर्वेदी से बात की तो उन्होंने कहा सरकारी अस्पतालों में रेबीज का सीरम नहीं है। जब मेरे पास मरीज़ पहुँचा तो देखा कि उसको कैटेगरी 3rd की बाईट है जिसमें वैक्सीन व सीरम दोनों लगाने का प्रावधान है लेकिन फिजिशियन सिर्फ़ वैक्सीन के लिए लिखता है क्योकि अस्पताल में एंटी रेबीज सीरम नहीं है ।

“अगर डा० त्यागी द्धारा रेबीज सीरम का इंजेक्शन नहीं लगाया जाता तो चली जाती युवक की जान”
जब युवक रेबीज का इंजेक्शन और सीरम लगवाने के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद हताश हो गया तब मरीज़ ने डा० बी०पी० से संपर्क किया।
इस संबंध में नेहरू नगर निवासी युवक दीपक गहलोत ने बताया कि कल दोपहर लगभग 2:00 बजे उसे गली में एक कुत्ते ने काट लिया, इसके बाद वह अपनी माता बॉबी के साथ जिला एम०एम०जी० अस्पताल पहुंचा, लेकिन सरकारी अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने उन्हें टिटनेस का इंजेक्शन लगाकर विदा कर दिया युवक ने अपने परिचित किसी डॉक्टर से पूछा तब डॉक्टर ने कहा कि उन्हें सीरम लगाना बहुत जरूरी है।
लेकिन सरकारी डॉक्टर का कहना था कि उनके पास सीरम उपलब्ध नहीं है. इस संबंध में दीपक का कहना है कि उसे सरकारी अमले ने लापरवाही बरतते हुए हुए मौत के मुंह में धकेल दिया था, दीपक के परिजन “आर०डी०सी० स्थित हर्ष ई०एन०टी० हॉस्पिटल पहुँचे और दीपक को फ्री में पूरा इलाज मुहिया कराते हुए मेडिसिन ड्रेसिंग के साथ लगभग ₹6000 कीमत की सीरम भी लगाया गया”।

इस संबंध में डॉक्टर बी०पी० त्यागी ने बताया कि दीपक की उम्र 17 साल है उसका वजन लगभग 55 किलो है उसे कुत्ते ने बेहद खतरनाक तरीके से काट लिया था जिसमें कुत्ते के दांत से शरीर में गढ़ गए थे ऐसे में निश्चित रूप से अगर सीरम नहीं लगाया जाता तो दीपक को रेबीज की बीमारी हो जाती।
जिसमें दीपक की जान जाने का पूरा-पूरा खतरा था, उन्होंने संबंध में सी०एम०एस० एम०जी० डॉ० चतुर्वेदी से भी बात की जहां चतुर्वेदी जी ने उन्हें फोन पर बताया कि फिजिशियन की राय पर दीपक का इलाज किया गया था और अगर फिजिशियन कहते तो सीरम भी लगाया जाता लेकिन फिजिशियन ने सीरम की बात नहीं की । इसका मतलब साफ़ है कि फिसिशियन भी 3rd डिग्री डॉग बाईट का इलाज नहीं जानते ।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को कुत्ता काट लेता है. तब देखा जाता है कि कुत्ते का हमला पीड़ित व्यक्ति की त्वचा तक ही सीमित है या उसके दांत पीड़ित व्यक्ति के गोश्त में समा गए थे. अगर पीड़ित व्यक्ति के गोश्त में कुत्ते के दांत गढ़ गए हो तब वहां सीरम लगाना ही एकमात्र उपाय होता है जो रेबीज इन्फेक्शन से बचा सकता है ।











