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BPC न्यूज़ ब्यूरो – टिहरी जिले के कीर्तिनगर क्षेत्र में तेंदुओं का आतंक बढ़ता ही जा रहा है तेंदुए ने एक दिन में पांच महिलाओं पर हमला कर किया घायल।

BPC News National Desk
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BPC न्यूज़ ब्यूरो- उत्तराखंड टिहरी जिले के कीर्तिनगर क्षेत्र में तेंदुओं का आतंक बढ़ता ही जा रहा है तेंदुए ने एक दिन में पांच महिलाओं पर हमला कर किया घायल।

“घटना में पांचो महिलाएं गंभीर रूप से घायल हुई हैं। जो श्रीनगर के बेस अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती हैं”

उत्तराखंड कीर्ति नगर वन क्षेत्र के ग्राम नाप खेत में घात लगाए बैठे तेंदुए ने घास लेने गई 27 वर्षीय मेघना 27 वर्षीय सुमित्रा और 70 वर्षीय संपदा देवी पर अचानक हमला कर दिया। तेंदुआ तीनों महिलाओं को घायल करने के बाद भाग गया। गांव वालों ने आवाज़ सुनी तो मदद के लिए पहुंचे।

उन्होंने घायल महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया। कुछ ही देर बाद तेंदुए ने दूसरी घटना को अंजाम देते हुए ग्राम डांग में 90 वर्षीय माई बसंत गिरी को हमला कर घायल कर दिया के तीसरी घटना में 60 वर्षीय प्रकाशी देवी तेंदुए के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गई इन दोनों महिलाओं को भी श्रीनगर बेस अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है।

सूचना मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी तीनों घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने मौका मुआयना करने के बाद पीड़ितों से भी मुलाकात की। उनको उचित मुआवजा दिए जाने का भरोसा दिया। उप प्रभागीय वनाधिकारी देवप्रयाग अनिल पैन्यूली ने बताया कि वन विभाग के 15 कर्मचारियों के टीम दिन रात वन क्षेत्र में गश्त कर रही है।

जिससे इंसानों पर हमला कर रहे तेंदुए के पहचान कर उसे पकड़ा जा सके। जगह-जगह ट्रैप कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। लोगों को मुनादी कर जंगल में जाने के लिए आगाह भी किया जा रहा है।

 

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BPC न्यूज़ ब्यूरो- उत्तराखंड टिहरी जिले के कीर्तिनगर क्षेत्र में तेंदुओं का आतंक बढ़ता ही जा रहा है तेंदुए ने एक दिन में पांच महिलाओं पर हमला कर किया घायल।“घटना में पांचो महिलाएं गंभीर रूप से घायल हुई हैं। जो श्रीनगर के बेस अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती हैं”उत्तराखंड कीर्ति नगर वन क्षेत्र के ग्राम नाप खेत में घात लगाए बैठे तेंदुए ने घास लेने गई 27 वर्षीय मेघना 27 वर्षीय सुमित्रा और 70 वर्षीय संपदा देवी पर अचानक हमला कर दिया। तेंदुआ तीनों महिलाओं को घायल करने के बाद भाग गया। गांव वालों ने आवाज़ सुनी तो मदद के लिए पहुंचे। उन्होंने घायल महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया। कुछ ही देर बाद तेंदुए ने दूसरी घटना को अंजाम देते हुए ग्राम डांग में 90 वर्षीय माई बसंत गिरी को हमला कर घायल कर दिया के तीसरी घटना में 60 वर्षीय प्रकाशी देवी तेंदुए के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गई इन दोनों महिलाओं को भी श्रीनगर बेस अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है। सूचना मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी तीनों घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने मौका मुआयना करने के बाद पीड़ितों से भी मुलाकात की। उनको उचित मुआवजा दिए जाने का भरोसा दिया। उप प्रभागीय वनाधिकारी देवप्रयाग अनिल पैन्यूली ने बताया कि वन विभाग के 15 कर्मचारियों के टीम दिन रात वन क्षेत्र में गश्त कर रही है। जिससे इंसानों पर हमला कर रहे तेंदुए के पहचान कर उसे पकड़ा जा सके। जगह-जगह ट्रैप कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। लोगों को मुनादी कर जंगल में जाने के लिए आगाह भी किया जा रहा है।“वर्ष 2000 से अब तक तेंदुए के हमले में 514 लोगों की जान गई है, जबकि 1868 लोग घायल हुए हैं। वहीं, वर्ष 2000 से अब तक 1741 तेंदुओं की मौत रिकॉर्ड में दर्ज है”तेंदुए का नाम सुनते ही आजकल लोग सहम जाते हैं। 71 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र वाले उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में पिछले कुछ समय में तेंदुए की दहशत बढ़ गई है। तेंदुआ घात लगाकर महिलाओं, बच्चों या पालतू पशुओं को अपना शिकार बना रहा है। अब तो स्थिति यह है कि तेंदुआ घर में घुस कर बच्चों को उठा रहा है। इसके कारण ग्रामीण इलाके में बच्चे कई-कई दिन स्कूल नहीं जा पाते। कई गांव सिर्फ इसलिए खाली हो गए कि वहां रहने वाले लोग अब तेंदुए का निवाला नहीं बनना चाहते। प्रदेश में तेंदुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, ऐसे में भोजन-पानी की तलाश इन्हें जंगल से बाहर रिहायशी इलाकों तक ला रही है।

“वर्ष 2000 से अब तक तेंदुए के हमले में 514 लोगों की जान गई है, जबकि 1868 लोग घायल हुए हैं। वहीं, वर्ष 2000 से अब तक 1741 तेंदुओं की मौत रिकॉर्ड में दर्ज है”

तेंदुए का नाम सुनते ही आजकल लोग सहम जाते हैं। 71 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र वाले उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में पिछले कुछ समय में तेंदुए की दहशत बढ़ गई है। तेंदुआ घात लगाकर महिलाओं, बच्चों या पालतू पशुओं को अपना शिकार बना रहा है। अब तो स्थिति यह है कि तेंदुआ घर में घुस कर बच्चों को उठा रहा है।

इसके कारण ग्रामीण इलाके में बच्चे कई-कई दिन स्कूल नहीं जा पाते। कई गांव सिर्फ इसलिए खाली हो गए कि वहां रहने वाले लोग अब तेंदुए का निवाला नहीं बनना चाहते। प्रदेश में तेंदुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, ऐसे में भोजन-पानी की तलाश इन्हें जंगल से बाहर रिहायशी इलाकों तक ला रही है।

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