BPC न्यूज़ ब्यूरो – आखिरकार कौन है हल्द्वानी दंगो का मास्टरमाइंड..?
“हल्द्वानी में लगा कर्फ्यू, इंटरनेट भी बंद, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश”
“हल्द्वानी के मलिका बगीचा स्थित मदरसे व मस्जिद पर प्रशासन के बुलडोजर एक्शन के बाद अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी और आगजनी कर दी”
सदियों से हल्द्वानी शहर की फिजा बिल्कुल शांत रही है। यहां की वादियां सुकून और खुशी देती है। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को यह शहर गले लगा लेता है। बृहस्पतिवार को अचानक ऐसा क्या हुआ, जिससे इस शहर की शांति ही भंग हो गई। किसने शांत फिजा का सुकून और खुशी छीन ली।
“बनभूलपुरा में अवैध धार्मिक स्थल तोड़ने का मसला सीधे तौर पर प्रशासन से जुड़ा हुआ था “
हालात इस कदर बिगड़ गए कि प्रशासन को वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा. प्रशासन और सरकार दावा कर रहे हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही अतिक्रमण को हटाने का काम शुरू किया था।

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BPC न्यूज़ ब्यूरो – आखिरकार कौन है हल्द्वानी दंगो का मास्टरमाइंड..?“हल्द्वानी में लगा कर्फ्यू, इंटरनेट भी बंद, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश”“हल्द्वानी के मलिका बगीचा स्थित मदरसे व मस्जिद पर प्रशासन के बुलडोजर एक्शन के बाद अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी और आगजनी कर दी”सदियों से हल्द्वानी शहर की फिजा बिल्कुल शांत रही है। यहां की वादियां सुकून और खुशी देती है। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को यह शहर गले लगा लेता है। बृहस्पतिवार को अचानक ऐसा क्या हुआ, जिससे इस शहर की शांति ही भंग हो गई। किसने शांत फिजा का सुकून और खुशी छीन ली।“बनभूलपुरा में अवैध धार्मिक स्थल तोड़ने का मसला सीधे तौर पर प्रशासन से जुड़ा हुआ था “हालात इस कदर बिगड़ गए कि प्रशासन को वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा. प्रशासन और सरकार दावा कर रहे हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही अतिक्रमण को हटाने का काम शुरू किया था।पुलिस की खुफिया एजेंसी सटीक जानकारी देने में या तो फेल रही या जानकारी थी तो बिना तैयारी के कार्रवाई के लिए टीम को मौके पर भेज दिया गया। इसको लेकर भी पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं।“कुछ सवाल”क्या उत्तराखंड पुलिस का लोकल खुफिया तंत्र नाकाम रहा..?क्या ये दंगा सुनियोजित था..?जिस प्रकार दंगा हुआ आगजनी हुई क्या ये कुछ घंटों की तयारी थी..?दंगाई पहले से ही घर की छातो पर पेट्रोल बम, पत्थर इक्कठा कर रखे थेक्या एक समुदाय UCC का विरोध कर रहा है और हल्द्वानी दंगा उसका परिणाम है..?तांडव की तस्वीर यह रही की पत्थरबाजी और गोली लगने से छह लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं। पुलिस से लेकर पत्रकार और आमजन तक जख्मी है। शहर के लिए इस हिंसा ने एक ऐसा जख्म और दाग दिया है जिसे भरने में कई साल लग जाएंगे। यह सब के लिए जानना जरूरी है कि यह घटना सांप्रदायिक तनाव का बिल्कुल ही नहीं था। विशुद्ध तौर पर कानून व्यवस्था का मामला है जिसका आकलन करने में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह फैल रहा।
पुलिस की खुफिया एजेंसी सटीक जानकारी देने में या तो फेल रही या जानकारी थी तो बिना तैयारी के कार्रवाई के लिए टीम को मौके पर भेज दिया गया। इसको लेकर भी पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
“कुछ सवाल”
क्या उत्तराखंड पुलिस का लोकल खुफिया तंत्र नाकाम रहा..?
क्या ये दंगा सुनियोजित था..?
जिस प्रकार दंगा हुआ आगजनी हुई क्या ये कुछ घंटों की तयारी थी..?
दंगाई पहले से ही घर की छातो पर पेट्रोल बम, पत्थर इक्कठा कर रखे थे
क्या एक समुदाय UCC का विरोध कर रहा है और हल्द्वानी दंगा उसका परिणाम है..?
तांडव की तस्वीर यह रही की पत्थरबाजी और गोली लगने से छह लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं। पुलिस से लेकर पत्रकार और आमजन तक जख्मी है। शहर के लिए इस हिंसा ने एक ऐसा जख्म और दाग दिया है जिसे भरने में कई साल लग जाएंगे।
यह सब के लिए जानना जरूरी है कि यह घटना सांप्रदायिक तनाव का बिल्कुल ही नहीं था। विशुद्ध तौर पर कानून व्यवस्था का मामला है जिसका आकलन करने में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह फैल रहा।














