उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में मई 2005 में हुई बड़ी गौकशी की घटना के मामले में करीब 20 साल बाद न्यायालय ने सख्त फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर एक्ट) की अदालत ने 25 आरोपियों को विभिन्न धाराओं में दोषी ठहराते हुए सात-सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही सभी पर कुल 15-15 हजार रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है।
घटना की पूरी जानकारी
मई 2005 की एक देर रात बुलंदशहर के सिकंदराबाद क्षेत्र में पुलिस को सूचना मिली थी कि बड़े पैमाने पर गौकशी की जा रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने छापेमारी की तो वहां का नजारा रोंगटे खड़े करने वाला था।
कुल 119 कटी हुई गायों के शव बरामद हुए थे। बड़ी संख्या में गौकशी के उपकरण, चाकू, कुल्हाड़ी और मांस काटने की मशीनें भी जब्त की गईं। मौके से कई आरोपी गिरफ्तार हुए थे, जबकि कुछ फरार हो गए।
मामले में कुल 30 आरोपी बनाए गए थे। इसमें से 2 आरोपियों की मुकदमे के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि 3 आरोपी अभी भी फरार हैं। बाकी बचे 25 आरोपियों के खिलाफ लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट ने सुनाई ये सजाएं
विशेष न्यायाधीश ने तीन अलग-अलग कानूनों के तहत सजा सुनाई:
उत्तर प्रदेश गौवध निवारण अधिनियम के तहत
→ सभी 25 दोषियों को 7-7 वर्ष का कठोर कारावास
→ 5-5 हजार रुपये जुर्माना
गैंगस्टर एक्ट के तहत
→ 7-7 वर्ष का कारावास
→ 10-10 हजार रुपये जुर्माना
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत
→ 50-50 रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना
सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। इस तरह प्रत्येक दोषी को 7 साल जेल और करीब 15,050 रुपये का कुल जुर्माना देना होगा।
20 साल बाद मिला न्याय
यह मामला 2005 से कोर्ट में लंबित था। लंबी गवाही, सबूतों की जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है। गौ-रक्षक संगठनों ने इस फैसले को “ऐतिहासिक” बताया है और कहा है कि यह साफ संदेश देता है कि गौकशी जैसे जघन्य अपराधों को बख्शा नहीं जाएगा।
अब तक फरार चल रहे 3 आरोपियों की तलाश पुलिस जारी रखे हुई है। जैसे ही वे पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।










