ढाई साल के मासूम की चीखों के बीच प्राइवेट भाग्यश्री हॉस्पिटल की हैवानियत, परिजनों ने किया हंगामा
खेल-खेल में ढाई साल के बच्चे को लगी मामूली चोट को ठीक करने के नाम पर एक निजी अस्पताल ने जो किया, उसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। बच्चे के आँख के ठीक बगल में लगा घाव सिलने की बजाय डॉक्टर ने ५ रुपये की फेवीक्विक से चिपका दिया। पूरी रात मासूम दर्द से तड़पता रहा, जबकि उसकी आँख पर जहरीला केमिकल चिपका हुआ था।
घटना जागृति विहार एक्सटेंशन के पास महपल हाइट्स की है। फाइनेंसर सरदार जसप्रिंदर सिंह का ढाई साल का बेटा मनराज सिंह मंगलवार शाम घर में खेलते वक्त गिर पड़ा। आँख के ठीक नीचे करीब एक इंच लंबा घाव हो गया और खून बहने लगा। घबराए परिजन तुरंत पास के ही भाग्यश्री हॉस्पिटल (पार्थपुर रोड) लेकर पहुंचे।
परिजनों का आरोप है कि वहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बिना कोई सफाई किए, बिना एनेस्थीसिया दिए और बिना एक भी टांका लगाए सीधे फेवीक्विक निकालकर घाव पर चिपका दिया और घर भेज दिया। घर लौटते ही बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। पूरी रात वह दर्द से कराहता रहा। आँख के पास जलन और सूजन बढ़ती गई।
अगले दिन सुबह परिजन बच्चे को लेकर लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (मेरठ मेडिकल कॉलेज) पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने फेवीक्विक देखकर हैरानी जताई। घाव से जहरीली गोंद हटाने में करीब तीन घंटे लग गए। इसके बाद चार टांके लगाए गए और एंटी-टॉक्सिक दवाएं दी गईं। डॉक्टरों ने बताया कि अगर समय रहते नहीं लाए जाते तो बच्चे की आँख को स्थायी नुकसान हो सकता था।
बुधवार को गुस्साए परिजन और रिश्तेदार करीब 50 लोगों के साथ भाग्यश्री हॉस्पिटल पहुंचे और जमकर हंगामा किया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से डॉक्टर का नाम बताने और माफी मांगने को कहा, लेकिन कोई जिम्मेदार सामने नहीं आया। इसके बाद परिजन सीएमओ डॉ. राजीव सिंह से मिले और लिखित शिकायत दर्ज कराई।
परिजन जसप्रिंदर सिंह ने बताया,
“मेरा बच्चा अभी बोल भी ठीक से नहीं पाता। डॉक्टर ने उसकी चीखें सुनीं और फिर भी फेवीक्विक लगा दिया। यह हत्या का प्रयास है। हम डॉक्टर और अस्पताल के खिलाफ एफआईआर चाहते हैं।”
सीएमओ डॉ. राजीव सिंह ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए कहा,
“मामला गंभीर है। हमने तुरंत जांच टीम गठित कर दी है। अस्पताल का रजिस्ट्रेशन, डॉक्टर की डिग्री और इलाज की पूरी जानकारी खंगाली जा रही है। दोषी पाए जाने पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।”
फिलहाल पुलिस ने परिजनों की तहरीर पर भाग्यश्री हॉस्पिटल के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा दर्ज कर लिया है। मासूम मनराज अब खतरे से बाहर है, लेकिन उसकी आँख के पास पड़ा निशान जिंदगी भर उस रात की भयावह याद दिलाता रहेगा।









