Bpc News Digital

  • अपनी भाषा चुनें

You are Visiters no

810387
हमें फॉलो करें

भाषा चुनें

गाजियाबाद: ITMS की भव्य शुरुआत, पर इंदिरापुरम में टूटे-लटके कैमरे, गुणवत्ता पर सवाल

BPC News National Desk
3 Min Read

गाजियाबाद। जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस लगातार दावा कर रही है कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जल्द ही इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) पूरी तरह लागू हो जाएगा। इसके तहत शहर के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर हाई-टेक स्वचालित कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिनके जरिए रेड लाइट जंपिंग, ओवर स्पीडिंग, सीट बेल्ट न पहनने जैसे यातायात उल्लंघनों पर तुरंत ई-चालान काटा जाएगा। प्रशासन का कहना है कि इससे न केवल ट्रैफिक नियमों का पालन बढ़ेगा, बल्कि जाम की समस्या में भी कमी आएगी।

लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू कुछ और ही बयां कर रहा है।

इंदिरापुरम थाना के ठीक सामने लगा रेड लाइट सिग्नल पर ITMS का कैमरा महीनों से टूटा हुआ और तारों सहित लटका हुआ है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह कैमरा शुरू से ही ठीक से काम नहीं कर रहा था और अब तो पूरी तरह बेकार पड़ा है। सबसे हैरानी की बात यह है कि जिस चौराहे पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक रहता है और जहां सबसे ज्यादा रेड लाइट जंपिंग होती है, वहीं का कैमरा सबसे खराब हालत में है।

इसी तरह का नजारा शहर के कई अन्य चौराहों पर भी देखने को मिल रहा है। कुछ जगहों पर तो कैमरे लगे ही नहीं हैं, जबकि कुछ जगहों पर लगे कैमरे धूल फांक रहे हैं।

 

कागजों में स्मार्ट सिटी, जमीन पर अव्यवस्था
कागजों में स्मार्ट सिटी, जमीन पर अव्यवस्था

अधिकारी बोले—शिकायत भेजी है, रिपेयरिंग शुरू नहीं

जब इस बारे में ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “कैमरों का मेंटेनेंस ठेकेदार की जिम्मेदारी है। कई कैमरे खराब होने की शिकायत हमने आगे भेजी है, लेकिन अभी तक रिपेयरिंग का काम शुरू नहीं हुआ।”

वहीं दूसरी ओर प्रशासन का दावा है कि दिसंबर 2025 तक सभी कैमरे एक्टिव कर दिए जाएंगे और चालान प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सवाल यह है कि जब सिस्टम शुरू भी नहीं हुआ, तब ही कैमरे टूटकर लटक रहे हैं, तो आगे इसका क्या भरोसा?

शहरवासियों का कहना है कि अगर ITMS को सच में सफल बनाना है तो पहले मौजूदा कैमरों की मरम्मत और गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए। नहीं तो यह महत्वाकांक्षी परियोजना भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह सिर्फ कागजों और होर्डिंग्स तक ही सीमित रह जाएगी।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *