ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि देश के किसी आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश हो और सहारनपुर का नाम उसमें न आए। पिछले कुछ वर्षों में यह जिला एक बार फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है।
यहां से जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन, हिजबुल मुजाहिदीन और यहां तक कि पाकिस्तानी जासूसों तक की गिरफ्तारी हो चुकी है।
सहारनपुर का नाम एक बार फिर चर्चा में तब आया जब नवंबर 2025 में डॉ. आदिल अहमद को आतंकी कनेक्शन के आरोप में श्रीनगर पुलिस ने गिरफ्तार किया। आदिल के पास से AK 47 के अलावा कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और संदिग्ध चैट रिकॉर्ड बरामद किए गए, अदिल से मिले इनपुट के बाद हरियाणा में छापेमारी हुई और वहां से विस्फोटक मिला जिसके बाद जांच एजेंसियों को शक है कि वह किसी बड़े नेटवर्क से जुड़ा था।
लेकिन यह कोई नई कहानी नहीं है — सहारनपुर पहले भी कई बार आतंकियों की पनाहगाह के रूप में सुर्खियों में रह चुका है।
जैश, लश्कर और हिजबुल के निशान पहले भी मिले
जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा नदीम वर्ष 2018 में गंगोह क्षेत्र से यूपी एटीएस के हत्थे चढ़ा था। जांच में पता चला कि वह पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स के संपर्क में था और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय जैश मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था।
इसके बाद देवबंद से जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) का सदस्य तल्हा पकड़ा गया। तल्हा की गिरफ्तारी के बाद एजेंसियों को पता चला कि वह बांग्लादेश के रास्ते भारत में सक्रिय कट्टरपंथी संगठनों के लिए काम कर रहा था।
इसी कड़ी में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी इनामुल सहारनपुर से पकड़ा गया था, जबकि हिजबुल मुजाहिदीन के सदस्य उल्फत हुसैन उर्फ सैफुल की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह इलाका आतंकी संगठनों की नजर में खास बना हुआ है।
फरवरी 2019 में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े दो आतंकियों — शाहनवाज़ तेली और आकिब — की गिरफ्तारी ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। दोनों जम्मू-कश्मीर के निवासी थे और देवबंद में किराए पर रह रहे थे। इनके पास से कई संदिग्ध वस्तुएं मिली थी।

NIA और ATS की संयुक्त कार्रवाई में कई बार हिल उठा इलाका
सहारनपुर से जुड़े मामलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने कई बार संयुक्त कार्रवाई की है।
इन अभियानों में नजीर अहमद, एजाज शेख, और बिलाल खान जैसे नाम सामने आए, जिन पर आतंकी साजिश रचने, फंडिंग और युवाओं की ब्रेनवॉशिंग जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुए।
सितंबर 2025 में बिलाल खान की गिरफ्तारी सबसे बड़ी कार्रवाई मानी गई। बिलाल सहारनपुर के तितरों-नकुड़ इलाके का रहने वाला था और जांच में सामने आया कि वह अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़ा है।
एजेंसियों के अनुसार, वह पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स के साथ संपर्क में था और भारत में आतंकी हमलों की योजना बना रहा था। उसके बाद कई संदिग्धों से पूछताछ हुई और खुफिया रिपोर्ट ने साफ किया कि पश्चिमी यूपी के कुछ हिस्सों में “स्लीपर सेल” सक्रिय हैं।

डॉ. आदिल की गिरफ्तारी से फिर खुली पुरानी फाइलें
अब नवंबर 2025 में डॉक्टर आदिल अहमद राठर की गिरफ्तारी के बाद सहारनपुर एक बार फिर सुर्खियों में है। श्रीनगर पुलिस ने उसे अंबाला रोड स्थित एक अस्पताल से गिरफ्तार किया था।
सूत्रों के मुताबिक, आदिल का संपर्क जैश और हिजबुल से जुड़े कुछ पुराने नेटवर्क से था। उसके सहारनपुर में कई संदिग्धों से लगातार मुलाकात करने के सबूत मिले हैं।
आदिल के घर और अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज, बैंक ट्रांजेक्शन और मोबाइल रिकॉर्ड की जांच की जा रही है।
ATS का देवबंद सेंटर — बढ़ती गतिविधियों के बीच सुरक्षा कवच
सहारनपुर में लगातार हो रही आतंकी गिरफ्तारियों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 में देवबंद में ATS कमांड कंट्रोल सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस सेंटर को पश्चिमी यूपी के लिए एक “स्ट्रैटेजिक नर्व सेंटर” के रूप में विकसित किया गया।
यहां एक फील्ड यूनिट तैनात है जो सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली और हरिद्वार क्षेत्र में सक्रिय संदिग्ध नेटवर्क पर नजर रखती है।
एटीएस का यह सेंटर स्थानीय पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और NIA के साथ मिलकर संयुक्त निगरानी और इंटरसेप्शन ऑपरेशन भी करता है।
अधिकारियों के अनुसार, देवबंद का यह ATS केंद्र न सिर्फ तत्काल कार्रवाई में मदद करता है, बल्कि आतंक विरोधी प्रशिक्षण और सूचना साझा करने का हब भी बन चुका है।

सहारनपुर क्यों है संवेदनशील इलाका
सहारनपुर की भौगोलिक स्थिति — हरियाणा और उत्तराखंड की सीमाओं से सटा होना — इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। यहां कई धार्मिक-शैक्षणिक संस्थान भी हैं, जिनमें देशभर से लोग आते हैं।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, यही कारण है कि कई आतंकी संगठनों ने इस इलाके को “सेफ कॉरिडोर” की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश की।
वहीं जब हमने डॉक्टर आदिल के सहारनपुर स्थित मकान के पास रहने उनके पड़ोसी से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने आदिल को बहुत कम ही आता जाता देखा और वो इस मकान में अकेला रहता था और अकसर उससे मिलने लोग आया जाया करते थे हालांकि कुछ ज्यादा बोलने से वो बचते नजर आए।
वही एटीएस की टीम ने लखनऊ स्थित डॉक्टर परवेज के घर पर छापेमारी की। डॉक्टर परवेज को डॉक्टर शाहीन का करीबी बताया जा रहा है।छापेमारी के दौरान डॉक्टर परवेज के घर के बाहर सफेद रंग की आल्टो कार खड़ी मिली, जिसका नंबर यूपी 11 बीडी 3563 है। कार के शीशे पर लखनऊ के गुड़म्बा स्थित इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का गेट पास लगा हुआ था।जांच में सामने आया कि यह कार सहारनपुर जनपद के थाना देहात कोतवाली क्षेत्र के गांव चकदेवली निवासी शोएब ने वर्ष 2021 में डॉक्टर परवेज को बेची थी।शोएब ने बताया कि वर्ष 2017 में यह कार उसे शादी में मिली थी। कार पर लोन था और किस्तें न चुका पाने के कारण उसने पैसों की जरूरत में OLX पर कार बेचने का विज्ञापन डाला था। इसके बाद उसे सनी नाम के एक युवक का फोन आया, जो डॉक्टर परवेज के क्लीनिक में मेडिकल का काम देखता था।सनी की बात के बाद शोएब ने यह कार डॉक्टर परवेज को दो लाख बीस हजार रुपये में बेच दी। दोनों ने आरटीओ ऑफिस जाकर लिखापढ़ी पूरी की। डॉक्टर ने सहारनपुर की जगह लखनऊ नंबर लेने की बात कही थी।
शोएब ने बताया कि इसके बाद न तो उसकी डॉक्टर से कोई बातचीत हुई और न ही कभी मुलाकात। वह डॉक्टर के क्लीनिक तक भी कभी नहीं गया।










