नेशनल डेस्क
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल असीम मुनीर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान फिर से अपमान का सामना करना पड़ा। व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में दोनों नेताओं को लगभग एक घंटे तक इंतजार कराया गया, जबकि ट्रंप पत्रकारों से बातचीत में व्यस्त थे।
यह घटना अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के बीच आई है, लेकिन पाकिस्तानी नेतृत्व के लिए एक शर्मनाक पल साबित हुई। ट्रंप ने दोनों को “महान नेता” बताते हुए तारीफ की, लेकिन देरी ने सोशल मीडिया पर खासी चर्चा बटोरी।
US-PAK मुलाकात
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं सत्र के सिलसिले में न्यूयॉर्क में थे, जहां उन्होंने ट्रंप के साथ एक अनौपचारिक मुलाकात की थी। इसके बाद वॉशिंगटन में ओवल ऑफिस में औपचारिक बैठक तय हुई, जिसमें पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर भी शामिल हुए।
यह शरीफ का अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ पहला ओवल ऑफिस दौरा था, जो पिछले छह वर्षों में किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का पहला ऐसा दौरा है।

मुलाकात मूल रूप से शाम 4:30 बजे (वॉशिंगटन समय) तय थी, लेकिन ट्रंप के कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करने और पत्रकारों से बातचीत में देरी हो गई। व्हाइट हाउस प्रेस पूल की तस्वीरों में शरीफ और मुनीर को ओवल ऑफिस के सोने-चमकते फर्नीचर पर धैर्यपूर्वक इंतजार करते हुए दिखाया गया।
ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, “वे आ रहे हैं, शायद अभी इस कमरे में ही हों। मुझे नहीं पता, क्योंकि हम देर कर रहे हैं। वे शायद ओवल ऑफिस के किसी कोने में होंगे।” यह बयान लगभग एक घंटे के इंतजार को उजागर करता है, जो पाकिस्तानी मीडिया में अपमान के रूप में चित्रित किया जा रहा है।
US-PAK झूठी तारीफ़
ट्रंप ने दोनों नेताओं की तारीफ करते हुए कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और फील्ड मार्शल महान नेता हैं। वे बहुत अच्छे लोग हैं।” मुलाकात पत्रकारों से बंद रही और लगभग 90 मिनट चली, जिसमें गाजा शांति, व्यापार समझौता और पाकिस्तान के तेल भंडार विकास जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो भी बैठक में मौजूद थे।
US-PAK संबंधों में नया मोड़
यह मुलाकात अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में गर्मजोशी का संकेत है। जुलाई में दोनों देशों ने 19 प्रतिशत टैरिफ वाले व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें अमेरिका पाकिस्तान के तेल भंडार विकास में सहायता देगा। ट्रंप ने पहले मुनीर को व्हाइट हाउस में अलग से लंच के लिए बुलाया था, जो पाकिस्तानी सेना की भूमिका को रेखांकित करता है। हालांकि, ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति पुराना रुख आतंकवाद के “सुरक्षित आश्रय” के रूप में था, लेकिन 2025 में सत्ता में लौटने के बाद संबंधों में सुधार दिखा है।
US-PAK भारत के लेकर मियां मिट्ठू
मई में भारत-पाकिस्तान सीमा तनाव के बाद ट्रंप ने खुद को मध्यस्थ बताते हुए युद्धविराम का श्रेय लिया था। लेकिन इस इंतजार की घटना ने पाकिस्तानी नेतृत्व को फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदगी का एहसास कराया। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इसे “ट्रंप का पाकिस्तान को सबक” करार दिया, जबकि कुछ ने इसे ट्रंप की “व्यस्तता” बताया।
US-PAK भारत के लिए क्या मायने?
यह घटना भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका-भारत संबंध वीजा बाधाओं, भारतीय सामानों पर भारी टैरिफ और ट्रंप के मध्यस्थता दावों से तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान के साथ अमेरिका की नजदीकी भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर जब ट्रंप ने गाजा जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान को अरब-इस्लामी नेताओं के साथ जोड़ा है। शरीफ ने 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में ट्रंप की मेजबानी वाले इस्लामी-अरब नेताओं की बैठक में हिस्सा लिया था।
US-PAK कूटनीतिक कमजोरी
मुलाकात के बाद शरीफ और मुनीर का मोटरकेड शाम 6:18 बजे व्हाइट हाउस से रवाना हुआ। पाकिस्तानी अधिकारियों ने इंतजार को “सामान्य देरी” बताया, लेकिन यह घटना पाकिस्तान की कूटनीतिक कमजोरी को उजागर करती है। ट्रंप प्रशासन ने संबंधों को मजबूत करने की बात कही है, लेकिन ऐसी घटनाएं पाकिस्तानी नेतृत्व की छवि को धूमिल करती रहेंगी। वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अब सतर्क रहना होगा, ताकि ऐसी “इंटरनेशनल बेइज्जती” दोहराई न जाए।










