नेशनल डेस्क ब्यूरो
US अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने बयानों से वैश्विक व्यापार की दुनिया में हलचल मचा दी है। मंगलवार को ‘सीएनबीसी स्क्वॉक बॉक्स’ के एक साक्षात्कार में ट्रंप ने ऐलान किया कि अगले 24 घंटों में भारत पर “अच्छा ख़ासा टैरिफ़” बढ़ाने की योजना है। यह बयान न केवल भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में एक नया मोड़ लाता है, बल्कि वैश्विक आर्थिक मंच पर भी सवाल खड़े करता है। लेकिन क्या यह ट्रंप का पुराना ‘अमेरिका फर्स्ट’ दांव है, या इसके पीछे कुछ और ही खेल चल रहा है?
US का टैरिफ बम: दोस्ती या दुश्मनी?
ट्रंप ने भारत को “सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश” करार देते हुए कहा, “भारत हमारा दोस्त है, लेकिन उनके टैरिफ़ दुनिया में सबसे ऊंचे हैं। हम उनके साथ बहुत कम व्यापार करते हैं क्योंकि उनके शुल्क अनुचित हैं।” यह बयान ट्रंप की उस पुरानी रणनीति की याद दिलाता है, जिसमें वो व्यापार असंतुलन को ठीक करने के लिए टैरिफ को हथियार बनाते हैं। लेकिन इस बार मामला सिर्फ टैरिफ तक सीमित नहीं है। ट्रंप ने भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भी निशाना साधा, इसे “गलत कदम” बताते हुए।
क्या ट्रंप भारत को सबक सिखाने की कोशिश कर रहे हैं? या फिर यह उनका वही पुराना ड्रामा है, जिसमें वो पहले धमकी देते हैं और फिर सौदेबाजी की मेज पर बैठते हैं? आखिरकार, ट्रंप ने खुद को “अनप्रेडिक्टेबल” कहलवाने में कभी गुरेज नहीं किया।
भारत की स्थिति: US तूफान में शांत जहाज
भारत ने इस धमकी पर अपनी प्रतिक्रिया में संयम बरता है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “हम टैरिफ के प्रभावों का आकलन कर रहे हैं और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।” भारत सरकार ने साफ कर दिया कि वो जवाबी टैरिफ लगाने की जल्दबाजी में नहीं है। इसके बजाय, भारत अपनी रणनीति को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।
उद्योगपति हर्ष गोयनका ने एक अलग नजरिया पेश करते हुए कहा, “ट्रंप का टैरिफ भारत के लिए संकट से ज्यादा अवसर हो सकता है। हमें यूरोप और ASEAN देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए।” गोयनका का मानना है कि फार्मा, स्टील, और आईटी जैसे क्षेत्र इस टैरिफ से ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि अमेरिका ने इन्हें छुआ तक नहीं है।
वैश्विक मंच पर US टैरिफ का खेल
ट्रंप की टैरिफ नीति कोई नई बात नहीं है। अप्रैल 2025 में उन्होंने भारत पर 26% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे बाद में 25% पर लाकर 1 अगस्त से लागू किया गया। अब इस नई धमकी के साथ, ट्रंप ने संकेत दिया है कि टैरिफ को और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पर इसका असर सीमित होगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अजय श्रीवास्तव कहते हैं, “भारत की अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है। टैरिफ से GDP पर 0.1-0.6% का असर हो सकता है, जो बहुत बड़ा नहीं है।
दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप की नीति सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। चीन पर 54%, वियतनाम पर 46%, और बांग्लादेश पर 37% टैरिफ लगाए गए हैं। भारत इन देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, क्योंकि उसका टैरिफ स्तर अपेक्षाकृत कम है। फिर भी, ट्रंप का यह कदम भारत-अमेरिका रिश्तों में ठंडक ला सकता है।
हटकर नजरिया: US टैरिफ या तमाशा?
चलिए, थोड़ा हटकर सोचते हैं। ट्रंप का यह बयान क्या सिर्फ एक सियासी तमाशा है? वो पहले भी भारत को “दोस्त” कहकर तारीफ कर चुके हैं और फिर तुरंत टैरिफ की धमकी दे दी। यह उनकी पुरानी रणनीति है – पहले दबाव बनाओ, फिर बातचीत की मेज पर लाओ। भारत के साथ व्यापार समझौते की बातचीत फरवरी 2025 से चल रही है, और दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखते हैं।
लेकिन ट्रंप की इस धमकी के पीछे एक और कोण हो सकता है। रूस के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों पर उनकी नाराजगी साफ दिखती है। ट्रंप ने कहा, “भारत रूसी तेल खरीदकर और उसे मुनाफे पर बेचकर यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है।” यह बयान भले ही तीखा हो, लेकिन भारत की विदेश नीति हमेशा से संतुलित रही है। भारत ने न तो रूस का साथ छोड़ा है और न ही पश्चिमी देशों से दूरी बनाई है।
भारत के लिए अवसर: नया बाजार, नई रणनीति
ट्रंप के टैरिफ से भारत को झटका लग सकता है, खासकर ऑटोमोबाइल, स्टील, स्मार्टफोन, और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों में। लेकिन यह भारत के लिए नए बाजार तलाशने का मौका भी है। शमिका रवि जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को यूरोप, मध्य पूर्व, और अफ्रीका जैसे बाजारों की ओर रुख करना चाहिए। भारत पहले ही स्मार्टफोन निर्यात में चीन को पछाड़कर अमेरिका का सबसे बड़ा साझेदार बन चुका है, जिसके बाजार में 44% हिस्सेदारी है।
इसके अलावा, भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति इस संकट को अवसर में बदलने में मदद कर सकती है। एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर कहते हैं, “भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य एशियाई देशों की तुलना में ज्यादा आत्ममुखी है। हम टैरिफ की चुनौतियों से आसानी से निपट लेंगे।”
US ट्रंप का ट्रंप कार्ड: क्या होगा आगे?
क्या ट्रंप का यह टैरिफ बम भारत को हिला देगा, या भारत इस तूफान में भी अपनी नाव को मजबूती से खेता रहेगा? अगले 24 घंटे में ट्रंप के ऐलान से तस्वीर साफ होगी। लेकिन इतना तय है कि भारत इस दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। विदेश नीति के जानकार मंजरी सिंह का कहना है, “भारत के पास जवाबी टैरिफ का विकल्प है, लेकिन बाजारों को डायवर्ट करना ज्यादा समझदारी होगी।”
ट्रंप का यह कदम भले ही सुर्खियां बटोर रहा हो, लेकिन भारत के लिए यह एक मौका है कि वो अपनी आर्थिक रणनीति को और मजबूत करे। जैसा कि एक ट्वीट में कहा गया, “मोदी जी के लिए भारत का हित सबसे पहले है।” तो क्या भारत ट्रंप के इस तमाशे को एक नए अवसर में बदल देगा? यह देखना दिलचस्प होगा।










